ट्रेन में खाते-पीते और गाते-गुनगुनाते सफर करने का भी अपना एक अलग ही मजा है। उस पर भी आपको अगर Toy Train में सफर करने को मिले तो यह मजा दोगुना हो जाता है। अगर आपको टॉय ट्रेन का मजा लेना है तो हिल स्टेशन का रुख करना होगा। खूबसूरत वादियों में कभी घने जंगलों के बीच से तो कभी अंधेरी सुरंगों के बीच से तो फिर चाय के बागानों से होती हुई Toy Train में बैठने का एक्सीरियंस अपने आप में एकदम नया होता है। टॉय ट्रेन की यात्रा सभी को आनंदित करती है। खासकर कि बच्चों को Toy Train में सफर करने में बहुत ही मजा आता है। अगर आप कहीं घूमने का मन बना रहे हैं तो इस बार ऐसे डेस्टिनेशन पर जाने का प्लान बना सकते हैं, जहां आपको घूमने-फिरने के साथ टॉय ट्रेन में भी मस्ती करने का अनुभव मिल सके। यहां हम आपको बता रहे हैं देश की ऐसी 5 Toy Train के बारे में...
कालका-शिमला हेरिटेज
कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर चलने वाली ऐतिहासिक टॉय ट्रेन शिमला तक पहुंचने का आसान जरिया है। इस टॉय ट्रेन के लिए ट्रेक को 1903 में ही तैयार कर लिया गया था। अब यह शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यह ट्रेन 96 किमी लंबे ट्रैक पर चलती है और 20 स्टेशनों को कवर करती है। अपने पूरे सफर में यह ट्रेन 103 सुरंगों, 800 पुल और करीब 900 घुमावदार मोड़ को कवर करती है। इस ट्रेन की पूरी ट्रिप को कवर करने में 5 घंटे लगते हैं। यह चंडीगढ़ के निकट कालका से शुरू होती है और शिमला तक जाती है। रास्ते भर ट्रेन में खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का लुत्फ आप उठा सकते हैं।
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच चलने वाली ट्रेन दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (टॉय ट्रेन) को यूनेस्को ने दिसंबर 1999 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया था। इसके बीच की दूरी करीब 78 किलोमीटर है। इन दोनों स्टेशनों के बीच करीब 13 स्टेशन हैं। यह पूरा सफर करीब आठ घंटे का है। इस पूरे सफर में ट्रेन से दिखने वाले नजारे बेहद लाजवाब होते हैं। इस ट्रेन की सवारी किए बिना दार्जिलिंग की यात्रा को अधूरा माना जाता है।
नरेल-माथेरान टॉय ट्रेन
महाराष्ट्र में स्थित माथेरान छोटा, लेकिन अद्भुत हिल स्टेशन है। यह करीब 2650 फीट की ऊंचाई पर है। नरेल से माथेरान के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप का सफर काफी रोमांचक है। इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे-छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं। इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती है। माथेरान करीब 803 मीटर की ऊंचाई पर इस मार्ग का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है।
नीलगिरि माउंटेन रेलवे
यह भी एक पॉप्युलर वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इसी Toy Train पर शाहरुख खान के ‘चल छइयां-छइयां' गाने की शूटिंग हुई थी। हालांकि यह देश की सबसे धीमे चलने वाली ट्रेन है। यह केवल 16 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल पाती है। पहाड़ों पर कहीं-कहीं तो इसकी रफ्तार महज 5 किमी प्रति घंटा ही रह जाती है। इस ट्रेन के बारे में यहां तक कहा जाता है कि आप चलती ट्रेन में से उतरकर थोड़ा इधर-उधर टहलकर वापस इस ट्रेन में आकर बैठ सकते हैं। मेट्टुपालियम से ऊटी के बीच नीलगिरि माउंटेन ट्रेन की यात्रा का रोमांच ही कुछ और है। इस बीच में करीब 10 रेलवे स्टेशन आते हैं। मेट्टुपालियम के बाद टॉय ट्रेन के सफर का अंतिम पड़ाव उदगमंदलम है। यह टॉय ट्रेन हिचकोले खाते हरे-भरे जंगलों के बीच से जब ऊटी पहुंचती है, तब आप 2200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर पहुंच चुके होते हैं।